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वो भी क्या दिन थे- Vo Bhi Kya Din The

#हमारा भी एक #जमाना था... खुद ही स्कूल जाना पड़ता था क्योंकि साइकिल बस आदि से भेजने की रीत नहीं थी, स्कूल भेजने के बाद कुछ अच्छा बुरा होगा ऐसा हमारे मां-बाप कभी सोचते भी नहीं थे उनको किसी बात का डर भी नहीं होता था, 🤪 पास/ फैल यानि नापास यही हमको मालूम था... % से हमारा कभी संबंध ही नहीं रहा। 😛 ट्यूशन लगाई है ऐसा बताने में भी शर्म आती थी क्योंकि हमको ढपोर शंख समझा जा सकता था। 🤣 किताबों में पीपल के पत्ते, विद्या के पत्ते, मोर पंख रखकर हम होशियार हो सकते हैं ऐसी हमारी धारणाएं थी। ☺️ कपड़े की थैली में बस्तों में और बाद में एल्यूमीनियम की पेटियों में किताब, कॉपियां बेहतरीन तरीके से जमा कर रखने में हमें महारत हासिल थी। 😁 हर साल जब नई क्लास का बस्ता जमाते थे उसके पहले किताब कापी के ऊपर रद्दी पेपर की जिल्द चढ़ाते थे और यह काम लगभग एक वार्षिक उत्सव या त्योहार की तरह होता था।  🤗  साल खत्म होने के बाद किताबें बेचना और अगले साल की पुरानी किताबें खरीदने में हमें किसी प्रकार की शर्म नहीं होती थी क्योंकि तब हर साल न किताब बदलती थी और न ही पाठ्यक्रम। 🤪 हमारे माताजी/ पिताजी को हमारी पढ़ाई का बोझ ह

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर करने योग्य बातें- Wish you all Happy Janmashtami

सभी ब्लॉग पाठकों को मेरी तरफ से श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं।         भगवान श्री कृष्ण सभी का कल्याण करें, ऐसी मेरी कामना है। जन्माष्टमी के अवसर पर सभी लोग अपने आस पास सफाई रखें, आवारा पशुओं, गायों को चारा खिलायें, बड़ो का आदर करें। अपने माता पिता की सेवा करें। कुछ समय निकाल कर उनके पास बैठे, उनसे बाते करें। उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।       अपने बच्चों को शिक्षा के साथ साथ संस्कार दें। उनके अंदर देशभक्ति, सभी धर्मों का आदर व अपने धर्म का ज्ञान कराएं। भगवद्गीता, रामायण जैसे ग्रन्थों के बारे में जानकारी दें, उन्हें इन किताबों को पढ़ने के लिये प्रेरित करें। बच्चों को पाश्चात्य संस्कृति से दूर रखें, मोबाइल फोन कम दें। बच्चा जो कर रहा है उस पर ध्यान रखें। गलत आदतों में न पड़ने दें, ये बच्चे ही भारत के भविष्य हैं। इनको अच्छी शिक्षा और संस्कार दें।     हमारी संस्कृति ही एकमात्र ऐसा साधन है जो भारत को भारत बनाती है, इसे बचाये रखें। धन्यवाद।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी विशेष- Shree Krishna Janmashtami Special

भाद्रपद माह के कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी तिथि को मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस मौके को जन्‍माष्‍टमी के तौर पर पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। भक्‍त मध्‍यरात्रि में कन्‍हैया का श्रृंगार करते हैं, उन्‍हें भोग लगाते हैं और पूजा-आराधना करते हैं। इसके बाद श्री कृष्ण के जन्म की कथा सुनी जाती है।  श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा का मुहूर्त समय श्रीकृष्ण पूजा का शुभ मुहूर्त-18 अगस्त रात्रि 12 बजकर 20 मिनट से 1 जबकर 5 मिनट तक है। पूजा अवधि- 45 मिनट की है। व्रत करने वालों के लिए पारण का समय- 19 अगस्त, रात्रि 10 बजकर 59 मिनट के बाद है।

सबसे बड़ी आफत, बुफे (बफर) की दावत- The biggest disaster, the buffet (buffer) feast Funny

आप सभी लोग मानो या ना मानो, लेकिन हमारे लिए सबसे बड़ी आफत बुफे की दावत । एक दिन हमें भी जाना पड़ा था बारात में, बीबी, बच्चों के साथ में । सभी के सभी बाहर से शो-पीस अन्दर से रुखे थे मगर क्या करें भाई साहब सुबह से भूखे थे, जैसे ही खाने का संदेशा आया हाल में, भगदड़ मच गई पण्डाल में, एक के ऊपर एक बरसने लगे, जिसने ले लिया सो ले लिया। बाकी खड़े तरसने लगे। पहला व्यक्ति , हाथ में प्लेट लिए, इधर से उधर चक्कर लगा रहा था, खाना लेना तो दूर उसे देख भी नहीं पा रहा था, दूसरा व्यक्ति, अपनी प्लेट में चावल की तस्तरी झाड़ लाया था। उससे कहीं ज्यादा तो अपना कुर्त्ता फाड़ लाया था। तीसरा एक महिला थी, जो ताड़ की तरह तनी थी, उसकी आधी साड़ी तो पनीर की सब्जी में सनी थी, उसे बार-बार धो रही थी, पड़ोसन की पहन कर आयी थी, इसलिये रो रही थी। चौथा व्यक्ति, अकेले ही मारे झटके झेल रहा था। मीट में घुसने से पहले दण्ड पेल रहा था। पांचवा व्यक्ति, कल्पना में ही खाना खा रहा था, प्लेट दूसरे की देख रहा था, मुँह अपना चला रहा था। छठवाँ व्यक्ति, इन हरकतों से बहुत ज्यादा परेशान था, इसलिए उसका बीबी बच्चों से ज्यादा, प्लेट पर ध्यान था।

गोरा राजा और काला दानव (भाग-१)- Fair King and Black Giant, (Part 1) Adventure Story

नमस्कार दोस्तों !         मैं एक रोमांचक कहानी सुनाने जा रहा हूँ, ये कहानी है एक राजा और एक काला दानव की। यह एक काल्पनिक कहानी है तथा इसके सभी पात्र काल्पनिक है, इसका किसी भी घटना से कोई लेना देंना नहीं है। तो मैं ये कहानी शुरु करता हूँ।      कुछ समय पहले दक्षिण के एक राज्य राजगढ़ में एक परमवीर राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज करते थे। वो बहुत ही दयावान और न्यायप्रिय थे, राजगढ़ की प्रजा उनके शासन से प्रसन्न थी। राजा अब वृद्ध हो चले थे । उनकी कोई संतान नहीं थी । लेकिन प्रजा की दुआओ से आज उनके महल में उनकी छोटी रानी अम्बिका  के गर्भ से उनके राज्य के उत्तराधिकारी का जन्म हुआ। राजा और प्रजा सभी लोग अत्यधिक प्रसन्न थे। राजा ने राज्य में राजकुमार के नामकरण के समारोह की घोषणा कर दी । प्रजा को राजकुमार मिल गया था , सभी प्रजाजन राजकुमार के आने की खुशी में ढोल, नगाड़े बजा कर नृत्य कर रहे थे। राजा ने पूरे राज्य को सजवा दिया तथा सभी प्रजाजनों व राज्य के सभी ब्राह्मणों व विद्वानों को राजकुमार के नामकरण आदि के लिए समारोह में आमंत्रित किया।  दूर-दूर से ब्राह्मण व विद्वान लोग समारोह में उपस्थित ह

कोरोना

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Jai Rajputana

🌞 JAI RAJPUTANA 🌞 धन्य हुआ रे राजस्थान,जो जन्म लिया यहां प्रताप ने। धन्य हुआ रे सारा मेवाड़, जहां कदम रखे थे प्रताप ने॥ फीका पड़ा था तेज़ सुरज का, जब माथा उन्चा तु करता था। फीकी हुई बिजली की चमक, जब-जब आंख खोली प्रताप ने॥ जब-जब तेरी तलवार उठी, तो दुश्मन टोली डोल गयी। फीकी पड़ी दहाड़ शेर की, जब-जब तुने हुंकार भरी॥ था साथी तेरा घोड़ा चेतक, जिस पर तु सवारी करता था। थी तुझमे कोई खास बात, कि अकबर तुझसे डरता था॥ हर मां कि ये ख्वाहिश है, कि एक प्रताप वो भी पैदा करे। देख के उसकी शक्ती को, हर दुशमन उससे डरा करे॥ करता हुं नमन मै प्रताप को,जो वीरता का प्रतीक है। तु लोह-पुरुष तु मातॄ-भक्त,तु अखण्डता का प्रतीक है॥ हे प्रताप मुझे तु शक्ती दे,दुश्मन को मै भी हराऊंगा। मै हु तेरा एक अनुयायी,दुश्मन को मार भगाऊंगा॥ है धर्म हर हिन्दुस्तानी का,कि तेरे जैसा बनने का। चलना है अब तो उसी मार्ग,जो मार्ग दिखाया प्रताप ने॥ "माई ऐडा पूत जण जैडा राणा प्रताप अकबर सोतो उज के जाण सिराणे साँप" "चार बांस चौबीस गज, अष्ट अंगुल प्रमाण ता ऊपर सुलतान है, मत चूके चौहान&q