कविता: क्योंकि मैं एक प्राइवेट नौकरी वाला हूँ- Poem, For Private Employees
🚇 बड़ी मेहनत के बाद मैंने *प्राईवेट* नौकरी पायी है, नौकरी में आया तो जाना, यहाँ एक तरफ कुआँ तो दूसरी तरफ खाई है। 🚇*जहाँ कदम कदम पर ज़िल्लत, और घड़ी घड़ी पर ताने हैं* यहाँ मुझे अपनी ज़िन्दगी के कई साल बिताने हैं। 🚇अपनी गलती ना हो लेकिन क्षमा याचना हेतु हाथ फैलाने हैं. फ़िर भी बात-बात पे डेबिट और Punishment ही पाने हैं. 🚇जानता हूँ ये 'अग्निपथ' है, फिर भी मैं चलने वाला हूँ, क्योंकि मैं प्राईवेट नौकरी वाला हूँ। 🚇जहाँ एक तरफ मुझे boss की, और दूसरी तरफ family वालो की भी सुननी है, यानी मुझे दो में से एक नहीं, बल्कि दोनों राह चुननी हैं। 🚇ड्यूटी अगर लेट हुयी तो boss चिल्लाते हैं. गलती चाहे किसी भी की भी हो सजा तो हम ही पाते हैं. 🚇दो नावों पे सवार हूँ फिर भी सफ़र पूरा करने वाला हूँ, क्योंकि मैं प्राईवेट नौकरी वाला हूँ। 🚇आसान नहीं है सबको एक साथ खुश रख पाना, परिवार के साथ वक़्त बिताना, और *Office*में job बचाना। 🚇परिवार के साथ बमुश्किल कुछ वक़्त ही बिता पाता हूँ, घर जैसे कोई मुसाफिर खाना हो, वहां तो बस आता और जाता हूँ। 🚇फिर भी हर मोड़ पर मैं अपनी ज़िम्मेदारी
NICE
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